नारी तो छिपी छिपाई है।

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कितने  है द्वंद्व, कितने प्रतिबंध, चहुं ओर से दिवारे भी  है बंद। कहते है नारी तू है स्वछंद। क्या लग रही यह सच्चाई है ? क्या यह सही मेरे भाई है ...

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